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तेरी खातिर कन्हैया मैं जोगन बनी – कृष्ण भजन लिरिक्स

तेरी खातिर कन्हैया मैं जोगन बनी,

खाक तन पर लगी कि लगी रह गई,

इंतजारी थी आने की आए नहीं,

तेरी राहों में पलकें बिछी रह गई,

तेरी खातिर कन्हैया मैं जोगन बनी!!

मैंने सोचा कि चिट्ठी लिखूं शाम को,

अफसाना बहुत है पर कागज नहीं,

जब भी आंखों की स्याही का दरिया बहा,

फिर कलम भी रुकी की रुकी रह गई,

तेरी खातिर कन्हैया मैं जोगन बनी!!

प्रीत मोहन की मन में बसी है मेरे,

छोड़ मथुरा हमें वह अकेले गए,

लौटकर फिर वह मथुरा से आए नहीं,

आस मन में जगी की जगी रह गई,

तेरी खातिर कन्हैया मैं जोगन बनी!!

तुमने तारे हैं पापी अधम से अधम,

मैं हूं पापी मगर उनके जैसा नहीं,

मुझसे रूठे हो क्यों यह समझ मैं गई

मेरे पापो में कोई कमी रह गई,

तेरी खातिर कन्हैया में जोगन बनी!!

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